कितना अच्छा हो
मन के रेगिस्तान को
कोई फूलों के गीत सुनाए
थके हुए इन पग को
कोई शीतल जल धो जाए
पतझर वसंत में अटकी दुनियां
की कोई गांठ खोल जाए
कितना अच्छा हो
कोई निराला मिल जाये
और वो फिर से वसंत अग्रदूत बन जाए
मन के रेगिस्तान को
कोई फूलों के गीत सुनाए
थके हुए इन पग को
कोई शीतल जल धो जाए
पतझर वसंत में अटकी दुनियां
की कोई गांठ खोल जाए
कितना अच्छा हो
कोई निराला मिल जाये
और वो फिर से वसंत अग्रदूत बन जाए
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