Showing posts with label विशेष दिन. Show all posts
Showing posts with label विशेष दिन. Show all posts

Wednesday, February 25, 2015

कामवालियाँ

कामवालियाँ,
पल से पहर होते समय में भी
चलती रहती है हौले -हौले

तब भी जब गर्मी में मेरे दालान में घुस आती है धूप
आग की लपटों जैसी
और तब भी जब सर्दी की रजाई ताने
मौसम सोता है कोहरे में
पानी के थपेड़ो के साथ
हवाओं की कनात में लिपटी भी दिखाई देती है।
ये कामवालियाँ,

बेजान दिनों पर सांस लेते समय सरकता है
फिर भी ये खिलती है हर सुबह
तिलचट्टे सी टीन छप्पर से निकल
विलीन हो जाती है बंगलों में
अपनी थकान और बुखार के साथ
मासूम भूख के लिए

रात को बिछ जाती है गमो की चादर ओढे,
इस तरह हर मौसम में
बहती रहती है ख़ामोशी से
सपाट चेहरे और दर्द के साथ
जिनके लिये कोई विशेष दिन नही होता
आठ मार्च जैसा सेलिब्रेट करने को।