Wednesday, May 1, 2013

...क्योकि जिन्दगी अभी बाकी है.

प्रिय मित्र समय!
तुम्हारे निकलने के 
पल पल का एहसास है,
लेकिन अभी बचे है  
मेरे अन्दर कुछ विचार,
और  क्रियांवित करने का आधार 
कुछ घटनाये जो अभी होना बाकी है,
क्योकि जिन्दगी अभी बाकी है.
तुम सुन रहे हो मित्र!
कुछ एहसास हुआ या नही 
एक बार फिर देना मेरा साथ,
बस अब मेरा लक्ष्य है बहुत पास 
प्रिय सखा तुम तो समय हो 
बीत जाओगे किसी तरह,
लेकिन मै बीती बात कैसे हो जाऊ 
बिना आदि से मिले 
अंत कैसे हो जाऊ?
कैसे ज़िन्दगी के पार चली जाऊ?
इसलिये अभी उस चित्र को पूरा करुंगी 
जिसके  किनारो मे अभी  
रंग भरना बाकी है.