Tuesday, December 17, 2013

क्या तू फिर से हमारी दुनिया मे नही आयगी?












तुझे गीता से समझा बाइबिल से जाना
बचपन से पढ़ा  गांधी  से माना
नरेन्द की बातो मे तू  थी
कुरान की आयतो मे तू  थी
टेरेसा तक तू  हमारे साथ थी
मानो कितने  हमारे पास थी
पर हे इंसानिय
हो गई उस दिन तू शर्मसार 
दिसम्बर की थी वो काली रात
अब कभी कभी ही करती   
हम से आंखे दो चार
तू  क्या अब नही सखी बनेगी हमारी
तेरी कितनी कमी खलेगी प्यारी
तुझे सखी कहा है तो छोड  के जाना नही
कोई  गांधी  कोई  जीसस  फिर लाना यही
इस  दुनिया  मे तेरी बहुत जरुरत है
हमसे ही तुझे हमने अलग कर दिया है
पर क्या  तू  फिर से हमारी दुनिया मे नही आयगी
एक बार फिर से माँ  मरियम नही बन पायगी
आ जा आ भी जा हमे तेरी जरुरत है
हर बच्चो को इंसान  बनाने की हसरत  है
इन बच्चो को बेहतर दुनिया दे जा
बस अब अमन  प्यार मुस्कान से इनका दामन भर जा         

Wednesday, May 1, 2013

...क्योकि जिन्दगी अभी बाकी है.

प्रिय मित्र समय!
तुम्हारे निकलने के 
पल पल का एहसास है,
लेकिन अभी बचे है  
मेरे अन्दर कुछ विचार,
और  क्रियांवित करने का आधार 
कुछ घटनाये जो अभी होना बाकी है,
क्योकि जिन्दगी अभी बाकी है.
तुम सुन रहे हो मित्र!
कुछ एहसास हुआ या नही 
एक बार फिर देना मेरा साथ,
बस अब मेरा लक्ष्य है बहुत पास 
प्रिय सखा तुम तो समय हो 
बीत जाओगे किसी तरह,
लेकिन मै बीती बात कैसे हो जाऊ 
बिना आदि से मिले 
अंत कैसे हो जाऊ?
कैसे ज़िन्दगी के पार चली जाऊ?
इसलिये अभी उस चित्र को पूरा करुंगी 
जिसके  किनारो मे अभी  
रंग भरना बाकी है.


Monday, January 7, 2013

कर लो ह्र्दय मे तुम संकल्प











तुम्हारी मृत्यु ने मुझे रुलाया
पर मन मे एक जज्बा भी जगाया

तुम लायी मन मे दृढ़ता
दुविधा को मैने निकाल फेका

वो कभी अब पास ना फटके
नारी बन जाओ तुम अपराजेय

बन्द कर लो खुली मुट्ठी
कर लो ह्र्दय मे तुम संकल्प

ना रुकेगे ना झुकेगे
अब हर हिंसा का विरोध करेगे

हम नया इतिहास रचेगे
हर मुश्किल अन्धेरो से लडेगे

असम्भव कुछ भी नही
कुछ कदम चल के देखो

हम मे सामर्थ्य भले कम,
संकल्प मे शक्ति बहुत है