प्रत्यक्ष अस्तित्व की आंतरिक गतिविधियों का परिणाम यह मेरा पहला काव्य- संग्रह है। ब्रह्मांड का घोषणा- पत्र एक संकेत है ऋत को जानने का जिसके माध्यम से हम दैनिक जीवन में नियमबद्ध होते हैं। प्रचलित के अलावा भी एक चलित तत्त्व इस ब्रह्माण्ड में है जिसकी खोज सतत चलती रही उसी पथ पर खड़े होकर मैंने कुछ लिखने का प्रयास किया है, आशा करती हूँ इस लोक रचना की संतृप्ति का सुख आप सब को भी मिलेगा।
पुस्तक के इतने सुंदर और अर्थयुक्त आवरण पृष्ठ को आज महाष्टमी के दिन लाने के लिए श्री केशव मोहन पांडेय जी का हार्दिक आभार।
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