दुनिया की सारी चीख़ें मेरे जहान में है
जेहन में रहना कोई अच्छी बात नहीं
इससे मांगने का डर रहता है
इंसाफ दर्द देता है
मेरे अंदर एक चुप्पी है
जिसे सुनकर
खिड़कियां खड़कती है
मैं ने एक हिमाकत की
खिड़कियां खोलने की
उसूलों ने मुझे नेस्तनाबूत कर दिया
अब खंडहर भी नहीं
सिर्फ चौकटे बचे है
आश्चर्य जिनकी नीव में
आज भी "हैं" दबा है
वो बरगद के नीचे बैठ पीर
जो असल में क़यामत से बैठा कोई फक्कड़ है
कहता है मुझसे
मन को बांधो
बांध मन को देखा मैं ने ज्यों ही
उस पार तमाम हैं'जमा हो
फातिया पढ़ रहे है।
जेहन में रहना कोई अच्छी बात नहीं
इससे मांगने का डर रहता है
इंसाफ दर्द देता है
मेरे अंदर एक चुप्पी है
जिसे सुनकर
खिड़कियां खड़कती है
मैं ने एक हिमाकत की
खिड़कियां खोलने की
उसूलों ने मुझे नेस्तनाबूत कर दिया
अब खंडहर भी नहीं
सिर्फ चौकटे बचे है
आश्चर्य जिनकी नीव में
आज भी "हैं" दबा है
वो बरगद के नीचे बैठ पीर
जो असल में क़यामत से बैठा कोई फक्कड़ है
कहता है मुझसे
मन को बांधो
बांध मन को देखा मैं ने ज्यों ही
उस पार तमाम हैं'जमा हो
फातिया पढ़ रहे है।