Wednesday, April 22, 2020

पृथ्वी का रुदन

🌻🐝रात का फक्कड़
आवाज देता है पृथ्वी को

शांति का प्रकाश सिर्फ एक लहर है
जो रोष के तूफान में खो जाती है,

असहाय पृथ्वी
निर्दयी आत्माओं से करती है रुदन
जरा ठहरो मेरे दर्द को साझा करो

बांसुरी बजाता मनुष्य
ओट में हो जाता है

मैं समय ,समुद्र का एक बेड़ा
अपने डूबने के इंतज़ार में हूं।
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🌻🐝पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएं🌻🐝