🌻🐝रात का फक्कड़
आवाज देता है पृथ्वी को
शांति का प्रकाश सिर्फ एक लहर है
जो रोष के तूफान में खो जाती है,
असहाय पृथ्वी
निर्दयी आत्माओं से करती है रुदन
जरा ठहरो मेरे दर्द को साझा करो
बांसुरी बजाता मनुष्य
ओट में हो जाता है
मैं समय ,समुद्र का एक बेड़ा
अपने डूबने के इंतज़ार में हूं।
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🌻🐝पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएं🌻🐝
आवाज देता है पृथ्वी को
शांति का प्रकाश सिर्फ एक लहर है
जो रोष के तूफान में खो जाती है,
असहाय पृथ्वी
निर्दयी आत्माओं से करती है रुदन
जरा ठहरो मेरे दर्द को साझा करो
बांसुरी बजाता मनुष्य
ओट में हो जाता है
मैं समय ,समुद्र का एक बेड़ा
अपने डूबने के इंतज़ार में हूं।
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🌻🐝पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएं🌻🐝
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3680 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
बहुत सुन्दर सृजन .
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 30 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर रचनाए है आपकी
ReplyDeleteहाल ही में मैंने ब्लॉगर ज्वाइन किया है आपसे निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग पढ़े और मुझे सही दिशा निर्देश दे
https://poetrykrishna.blogspot.com/?m=1
Dhnyawad