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Saturday, July 23, 2016

आदमी

सुनो ओ
मौत के
नुमाइंदो
तुम डल झील
के किनारे हो
या हो चिनारो के दरमियाँ,
ओढ़े है जो बर्फ की चादर
उन पहाड़ो के  पास
या शिकारे पर
बांध रहे हो मनसूबे
शिकार के
बस एक बार
चले जाना
नूर की मज़ार पर
शायद नूर के करम से
आने वाली नस्ल
उग्रवादी,आतंकवादी
न कहलाये,
बस कहलाये वो
आदमी।