किरण कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा न होकर उन तमाम व्यक्तियों के रोजमर्रा की जद्दोजहद का एक समुच्चय है जिनमे हर समय जीवन सरिता अपनी पूरी ताकत के साथ बहती है। किरण की दुनिया में उन सभी पहलुओं को समेट कर पाठको के समक्ष रखने का प्रयास किया गया है जिससे उनका रोज का सरोकार है। क्योंकि 'किरण' भी उनमे से एक है।
Saturday, November 21, 2020
हिन्दी कविता: कोहरा - Sansar News- Online for Global Nepali
हिन्दी कविता: कोहरा - Sansar News- Online for Global Nepali: हर बार बांची जाती है कोहरे की रति गाथा जिसमे होती है महर्षि पराशर और काली की कहानी जिसे सुनकर प्रेम बन के कोहरा लिपटता है आगोश में नर्म कोहरे में खोते खुद से खुद को जोड़ते धुंध में धुआं धुआं होते अपने में जलते बुझते रचते है प्रेमी प्रेम कहानी लेकिन इससे इतर है …
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मन का अंधकार ले साहित्य का अंधकार दूर करने निकले अपने- अपने विचार को सर्वोत्तम बताते एक मीडिया मंच पर लड़ते धाराओं के साहित्यकार आत्मचेतना औ...
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प्रिय मित्र समय! तुम्हारे निकलने के पल पल का एहसास है, लेकिन अभी बचे है मेरे अन्दर कुछ विचार, और क्रियांवित करने का आधार ...
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मैंने अलसाई सी आंखे खोली है.लेटे-लेटे खिड़की से दूर पहाड़ो को देखा पेड़ो और पहाडियों की श्रंखलाओ के पीछे सूर्य निकलने लगा है, हलकी - हलकी...
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प्रत्यक्ष अस्तित्व की आंतरिक गतिविधियों को समझने के प्रयास में अंतकरण में अनेक अनुभव आते हैं । समझने के प्रयास में अनेक कविताएं स्वतः स्फूर...
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ज़िन्दगी एक सोपान और कुछ नियति सी, कुछ अनसुलझे प्रशन सी कुछ उलझे से उत्तर सी. ज़िंदगी एक गहरी उदासी सी, और निरूद्देश जीवन ...