Wednesday, November 29, 2023

कॉसप्लेयर्स

मन का अंधकार ले साहित्य का अंधकार दूर करने निकले अपने- अपने विचार को सर्वोत्तम बताते एक मीडिया मंच पर लड़ते धाराओं के साहित्यकार आत्मचेतना और मूल विचार से कोसो दूर सिर्फ लिखे हुए को पुनः लिख कर अभिमान में गरज रहे थे और 
पृथ्वी हँस रही थी
अपनी पूरी घृणा के साथ

प्रकृति से मनुष्य का संबंध बदल गया
हमारा ही सर्वाधिक सत्य और हमारा आंतरिक सारतत्व ही पृथ्वी को भरपूर जीवन- सौंदर्य दे सकता है। इस बात को हम समझना ही नही चाहते। दुनिया मे किसी भी दर्शन को पढ़ा जाए या किसी कवि या लेखक को मनुष्य और प्रकृति का सर्वोच्च सत्य यही है। 

द ट्रायम्फ ऑफ लाइफ कविता का आरंभ करते शेली इसी सत्य की बात करते दिखाई देते है। वहीं दूसरी ओर एंगेल्स अपने चेतन स्वरूप जिसे वे idea कहते है को पहचान कर उसकी सर्वजयी शक्ति का उद्घोष  करते दिखते है।

मीडिया मंच के इस तरह के कार्यक्रम का हासिल क्या होता है यह बताने की जरूरत नही लेकिन कम से कम मीडिया मंच इतना तो करे कि ज्ञान उड़ेलने वाले ज्ञानियों के ज्ञान के ज्ञान को एक बार टटोले तो तब उन्हें मंच दे।
और आदरणीय मंचीय साहित्यकार आप भी सचेत हो भावी पीढ़ी का मन प्रश्नाकुल है तो आप भी प्रीतिकर तर्क प्रतितर्क करना सीख लीजिए , क्योंकि अब विरूपित तर्क नही चलेगा।
दर्शन और काव्य की सुदीर्घ परम्परा से सीखने का प्रयास कीजिये। ज्ञान का ज्ञान आपको बेहतर वक्ता बनाएगा। तब आपको सुनने का आनन्द वरीय होगा।

साहित्य में सारा भावबोध कवियों, लेखकों का है। विचार के साक्षात्कार के लिए मनुष्य को पहले स्वयं को जीतना होता है तभी उसे विचार के दर्शन होते है।
अपनी चेतना और अनंत अक्षय विचार में अगर अन्तर नही रखना है तो पहले आत्मचेतना के उपाय करें तथाकथित महान साहित्यकार नही तो आगे से आने वाली पब्लिक वही कहेगी जो मेरे एक मित्र ने प्रश्न के उत्तर में कहा था 

Everything was a Funny in literary democracy

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#किरणमिश्रा