Friday, April 29, 2016

ऊसर में प्रेम

अचानक में दूर तक फैले हुए
ऊसर में खडी हूं
शायद आस-पास कुछ खेत भी है
दो चार पेड़ और एक समाधी भी
मैं समाधी पर बैठी प्रेम खा रही हूं
रस में डूबा प्रेम महुआ जैसा
दूर तक फैले ऊसर के ऊपर
सूरज चमक रहा है
वो पेड़ के नीचे
अपने बाल बिखेरे हंस रहा है
हंसी चल पड़ी है
और मैं उस से चिपट कर
गर्म-गर्म ऊसर के रास्तो को पार कर रही हूं
फरवरी समाप्त होने को है
आसमान साफ और तेज है
ऊसर में ऊगे कुछ जंगली फूल
हमारे रास्तों को आसान बना रहे है
वो फूल तोड़-तोड़ कर
मेरे ऊपर फेक रहा है
हवा तेज और तेज हो गई है
हम उड़ रहे है
प्रेम उड़ रहा है
मैं अचानक नीचे गिरती हूं
ऊसर में फूल ?
ऊसर है तो फूल कहां?

Thursday, April 14, 2016

नयन राम के

युगांतर राम
वनवासी का रूप धर
उदघाटित किया तुमने
अपने होने के अर्थ को
और स्थापित किया तुमने
आधुनिक मूल्यबोध को
जब कर के शक्ति पूजा
भेट की एक आंख
तब दिखाया
सभ्यता को पूरा सच
पितृसत्ता व मातृसत्ता हैं
संतुलन शिव और शक्ति का
इसलिए हे शक्ति
तुम्हें अर्पित
नयन राम के

Friday, April 8, 2016

पुकार माँ की

हे भवमोचनी
तुम अंत के पहले अंतिम
अनादि अनंत हो
इसलिए हे अहंकारा
हमारा अहंकार हरो
हे बुद्धि:
जाग्रत कर हमारी बुद्धि को
चिति: बन
हमारी हर सांस में बस जाओ
हे भाविनी
भव्या करो ऐसे मानव का
जो अनेकवर्णा में भी एक हो
माँ दुर्गा
ताकि सारे संसार में
हो एकता की मधुर ध्वनि
हे अनन्ता
तभी होंगे हम
मुक्त इस कलुषित लदे मन से
ओ कालरात्रि
अंत करो इस काली रात का
बन कर मैत्रेय
हमें रास्ता दिखाओ