बचपन से पढ़ा गांधी से माना
नरेन्द की बातो मे तू थी
कुरान की आयतो मे तू थी
टेरेसा तक तू हमारे साथ थी
मानो कितने हमारे पास थी
पर हे इंसानियत
हो गई उस दिन तू शर्मसार
दिसम्बर की थी वो काली रात
अब कभी कभी ही करती
हम से आंखे दो चार
तू क्या अब नही सखी बनेगी हमारी
तेरी कितनी कमी खलेगी प्यारी
तुझे सखी कहा है तो छोड के जाना नही
कोई गांधी कोई जीसस फिर लाना यही
इस दुनिया मे तेरी बहुत जरुरत है
हमसे ही तुझे हमने अलग कर दिया है
पर क्या तू फिर से हमारी दुनिया मे नही आयगी
एक बार फिर से माँ मरियम नही बन पायगी
आ जा आ भी जा हमे तेरी जरुरत है
हर बच्चो को इंसान बनाने की हसरत है
इन बच्चो को बेहतर दुनिया दे जा
बस अब अमन प्यार मुस्कान से इनका दामन भर जा
जितनी तारीफ की जाए कम है | धन्यवाद
ReplyDeleteसच में हमारे हाथों से इंसानियत छूट गयी है, बहुत सच्ची दुआ है बच्चों के लिए जिसका अर्थ है उज्जवल और सुरक्षित भविष्य के लिए | बधाई आपको बेहद सच्ची रचना के लिए |
ReplyDeletevah gayi hi kahan hai vah to ham sabki chetna bankar hamme hi bas gayi hai .sundar abhivyakti .
ReplyDeleteSpeechless....
ReplyDeleteit's untold story of Nirbhaya..
Hats off for your Beautiful Mind Kiran g, feeling very proud to b your friend. Thanks.
God Bless you.
Speechless....
ReplyDeleteit's untold story of Nirbhaya..
Hats off for your Beautiful Mind Kiran g, feeling very proud to b your friend. Thanks.
God Bless you.
Speechless....
ReplyDeleteit's untold story of Nirbhaya..
Hats off for your Beautiful Mind Kiran g, feeling very proud to b your friend. Thanks.
God Bless you.