तुम्हारी मृत्यु ने मुझे रुलाया
पर मन मे एक जज्बा भी जगाया
तुम लायी मन मे दृढ़ता
दुविधा को मैने निकाल फेका
वो कभी अब पास ना फटके
नारी बन जाओ तुम अपराजेय
बन्द कर लो खुली मुट्ठी
कर लो ह्र्दय मे तुम संकल्प
ना रुकेगे ना झुकेगे
अब हर हिंसा का विरोध करेगे
हम नया इतिहास रचेगे
हर मुश्किल अन्धेरो से लडेगे
असम्भव कुछ भी नही
कुछ कदम चल के देखो
हम मे सामर्थ्य भले कम,
संकल्प मे शक्ति बहुत है
असम्भव कुछ भी नही
ReplyDeleteकुछ कदम चल के देखो
बहुत खूब.....
बहुत ख़ूब वाह!
ReplyDeletesaamarthya bhi bahut hai..
ReplyDeletebehtareen!!