Tuesday, March 3, 2015

जिंदगी की न टूटे लड़ी .......प्यार कर ले घडी दो घडी



 मशहूर गीतकार संतोष आनंद डॉ.कुवर बेचैन ऐसे ही कई साहित्य के सितारों के बीच मिला 'निराला सम्मान 2015' ने अभिभूत कर दिया. ये सम्मान मेरे लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण था पहला कारण मेरे प्रिय गीतकार संतोष आनंद जी द्वारा दिया जाना दूसरा मेरे हमसफर डॉ पवन विजय को ' ऋतुराज सम्मान 2015' मिलना तीसरा महान कवि श्री सूर्यकान्त निराला की स्मृति में दिया गया. निराला स्मृति में बने कॉलेज में मेरा पहला चयन प्रवक्ता पद पर उन्नाव में हुआ था जो निराला की जन्म भूमि है बस वही से मेरे लेखन की भी यात्रा शुरू हुई थी . बस ईश्वर से इतना ही मांगती हूँ कि मैं आगे भी मैं सत्यम, शिवम् और सुन्दरम लिखती रहूँ. इस दौरान अनेक साहित्य विभूतियों से मिलने का मौक़ा मिला. पद्मभूषण गोपालदास नीरज से मिलना सुखद था, बेबाक जौनपुरी जी का स्नेह और मार्गदर्शन हम दोनों लोगों को मिला. कार्यक्रम की सफलता के लिए भाई अमरेन्द्र जी बधाई के पात्र हैं .




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