एक था सरवन
पालकी उठाता था
जेठ की लू में
पूस के जाड़े में
गीत गाता था
चैता सुनाता था
सरवन की पालकी में
ठहर गया एक दिन
चुलबुला वसंत
प्रीत कुसुंभ के संग
फिर प्रेम रंगा, फागुन रंगा
रंग गया वसंत
प्रीत कुसुंभ के संग
अब पग फेरा नहीं
वसंत ठहरा वही
इतिहास हुआ क्रुद्ध
मौसम हुआ रुद्ध
इतिहास देवता कहते है..
सरवन सीधा नहीं बदमाश था
वो तो चालबाज था
वो चोर है
वो पागल है
वो कायर है
सरकार ने सामाजिक स्तरीकरण की बात की
सरवन को मात दी
सरवन सरकार के पाँव पखारता है
माई बाप, माई बाप चिल्लाता है
साल आते है चले जाते है
हर युग में सरवन गाते फिर रोते है
बस यूं ही अपना वसंत खोते है
पालकी उठाएगा नहीं
चैता सुनाएगा नहीं
सरवन अब कभी नज़र आएगा नहीं
एक है पागल
विगत पालो की पालकी उठता है
चैता गाता है-
चढ़त चइत चित लागे ना रामा
बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब होइहैं पिया से मिलनवा हो रामा
चढ़ल चइत चित लागे ना रामा...
वसंत की कब्र पर बंदिशें बिखर बिखर जाती है
सरवन मरते नहीं
वसंती अंधेड़ों में अदृश्य हो जाते है।
🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁🌿🍁
पालकी उठाता था
जेठ की लू में
पूस के जाड़े में
गीत गाता था
चैता सुनाता था
सरवन की पालकी में
ठहर गया एक दिन
चुलबुला वसंत
प्रीत कुसुंभ के संग
फिर प्रेम रंगा, फागुन रंगा
रंग गया वसंत
प्रीत कुसुंभ के संग
अब पग फेरा नहीं
वसंत ठहरा वही
इतिहास हुआ क्रुद्ध
मौसम हुआ रुद्ध
इतिहास देवता कहते है..
सरवन सीधा नहीं बदमाश था
वो तो चालबाज था
वो चोर है
वो पागल है
वो कायर है
सरकार ने सामाजिक स्तरीकरण की बात की
सरवन को मात दी
सरवन सरकार के पाँव पखारता है
माई बाप, माई बाप चिल्लाता है
साल आते है चले जाते है
हर युग में सरवन गाते फिर रोते है
बस यूं ही अपना वसंत खोते है
पालकी उठाएगा नहीं
चैता सुनाएगा नहीं
सरवन अब कभी नज़र आएगा नहीं
एक है पागल
विगत पालो की पालकी उठता है
चैता गाता है-
चढ़त चइत चित लागे ना रामा
बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब होइहैं पिया से मिलनवा हो रामा
चढ़ल चइत चित लागे ना रामा...
वसंत की कब्र पर बंदिशें बिखर बिखर जाती है
सरवन मरते नहीं
वसंती अंधेड़ों में अदृश्य हो जाते है।
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ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ख़ुशी की कविता या कुछ और?“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteवाह जी बढ़िया लिखा है
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteविसंगतियाँ भरी पड़ी हैं जीवन में जहां कवि मन अपने लिये बिषयों की तलाश करता है.
ReplyDeleteउत्कृष्ट सृजन में निहित व्यापक सामाजिक संदेश.
बधाई एवं शुभकामनायें.
नव वर्ष की मंगलकामनाएें.
वाह!!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर...