मन की झील पर यादें कोहरे सी छाई
एक बार फिर प्रीत की शरद ऋतु आई
बीती बातों ने नवल किरणें बिखराई
आँखों में प्रेम की फिर छवि लहराई
प्रीत सी प्यारी शरद ऋतु आई
कुमुदनी मन हुआ चादनी तन पर छाई
अम्बर के होठों पे लाली उतर आई
भीनी भीनी सी खुशबू लिए शरद ऋतु आई
अलाव पर बैठे है मीत का संग लिए
दिल दहक रहा है प्रीत का रंग लिए
कांस सी श्वेत शरद ऋतु आई
प्रीत के तान छेड़े खंजन भी चले आए
चांदनी ने तान पर अमृत बरसाये
नील धवल सी शरद ऋतु आई
विराहते चाँद से मिली जब चांदनी
बजने लगी हर तरफ रात की रगनी
इठलाती इतराती शरद ऋतू आई
एक बार फिर प्रीत की शरद ऋतु आई
बीती बातों ने नवल किरणें बिखराई
आँखों में प्रेम की फिर छवि लहराई
प्रीत सी प्यारी शरद ऋतु आई
कुमुदनी मन हुआ चादनी तन पर छाई
अम्बर के होठों पे लाली उतर आई
भीनी भीनी सी खुशबू लिए शरद ऋतु आई
अलाव पर बैठे है मीत का संग लिए
दिल दहक रहा है प्रीत का रंग लिए
कांस सी श्वेत शरद ऋतु आई
प्रीत के तान छेड़े खंजन भी चले आए
चांदनी ने तान पर अमृत बरसाये
नील धवल सी शरद ऋतु आई
विराहते चाँद से मिली जब चांदनी
बजने लगी हर तरफ रात की रगनी
इठलाती इतराती शरद ऋतू आई
beautiful composition...
ReplyDeleteडायनामिक सुन्दर रचना
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