Wednesday, June 22, 2016

बेघर सपनें

कई रातों को जाग कर
एक बुनी हुई चादर को
बेदर्दी से
रेशा रेशा कर देना
ऐसा ही होता है बेघर होना ,

बेघर होना ऐसा
जैसे सीरिया की लड़की
खोजती है बचपन की गुडिया
अपनी गुडिया के लिए,

बम्बई के फुटपाथ पर
तिब्बती लड़का,
चाऊमीन बनाते बेचते
बाबा से सुनता है
पहाडी गांव की कहानी
जिसे उसने देखा नहीं,

दिल्ली की गर्मी में
करवटे बदलता बुजुर्ग
देखता है सपने
करता है इक्कठा बर्फ
छोटे बच्चों के साथ,

बेघर होना मतलब
सपनों को मार देना
ऐसे जैसे
लहरों को लहरों से
अलग कर देना।

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