तौबा कीजिए इस बारिश में आप भी कमबख्त ख्वाहिशें अंगड़ाई लेने लगती है ,ऐसा न हो दामन भिगोते-भिगोते दिल भिगो दें । फिर मत कहना की उनकी गली में हम खड़े थे बहती घटाएं लिये क्यों आए इस बरसात के लिए । हम तो रब से यही दुआएं करते है आप की जो वो है उनकी पायल से इस बार बरसात छनके । लेकिन अगर नहीं छनकी तो ख्वाहिशें जुगनू बन बरसात में उनके ख्वाब दिखाती रहें।
सो सभल जाओ फेसबुक वालो बेवफा बारिश हर बार नये गान छेड़ती है और पैगाम भी देती है।
सो सभल जाओ फेसबुक वालो बेवफा बारिश हर बार नये गान छेड़ती है और पैगाम भी देती है।
No comments:
Post a Comment