Friday, February 27, 2015

मेल फेमिनिज्म

मुझे स्त्री की भलाई के लिए ख़ड़े मेल  फेमिनिज्म से बहुत डर लगता है ये वो मेल फेमिनिज्म है जो स्त्री को स्त्री नहीं रहने देना चाहता फिर उसके अस्तित्व को बचाने  की बात करती ये स्त्री से उसकी स्वाभाविक प्रकृति को भी छीने ले रही हैं। स्त्री  लिए इनका संघर्ष स्त्री के जीवन -संबंधों को बदलेंगा मुझे इसमे संदेह है। शायद इसीलिए स्त्री की लैंगिक भूमिका आज अपमानजनक और सामाजिक भूमिका आज ज्यादा कठिन है। मेल फेमिनिज्म का नया नारा स्त्री स्त्री नहीं व्यक्ति है व्यक्ति तो हम सब है ही  अरे नारीवादियों   तुम कैसे स्त्री के मन के  सवालो को उघाड़कर उसे जवाब बना दोगी तुम तो उसे मन को और उलझा रही हो ।  स्त्री वादी  ढोंग करनेवाली हमेशा आधे आसमान की बात क्यों करती है पूरे की क्यों नहीं ? पूरा आसमान हो स्त्री  पुरुष दोनों स्नेह से रहे सामान रहे।   फडफडाती   नारीवादियां ये भूल जाती है कि स्त्री की न तो   पुरुष बराबरी से और  न ही  नारी को  अपने अस्तित्व से अलग  करने से  उसका कल्याण है अगर ऐसा  होता तो चकाचौंध  में रहने वाली  स्त्रियों  को भयावह अँधेरा न झेलना पडता। पावरफुल से पॉवरलेस  बनती ये स्त्रियाँ  आंसू  न बहाती।  अरे स्त्रियों   भ्रमित नारीवाद से निकलो अपना फलक स्वयं बनाओं ऐसा फलक, जिसमे  समाज पुरुष बच्चे और तुम स्नेह से रह सको अपने फलक पर अपने मन माफ़िक सितारे टांक सको। 

2 comments:

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  2. अरे नारीवादियों तुम कैसे स्त्री के मन के सवालो को उघाड़कर उसे जवाब बना दोगी तुम तो उसे मन को और उलझा रही हो । स्त्री वादी ढोंग करनेवाली हमेशा आधे आसमान की बात क्यों करती है पूरे की क्यों नहीं ?

    ये सवाल बेहद जरूरी है आज के दौर में...नारीवाद के नाम पर हम लोग नारी को पुरूष ..पूरुष में नारी...ढंढते-ढूंढते दोनो को जो हैं वो नहीं रहने दे रहे...

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