Friday, February 13, 2015

बोलती आँखों वाली लड़की और पूरब का लड़का

बोलती आँखों वाली लड़की जब हंसती है  तो इतना कि  आँखे भिगों लेती अल्हड धूप के साये  के साथ भागती ओस की बूदें इक्कठी करती , मस्त ऐसी जैसे हौले-हौले बर्फ गिरती है फिर एक दिन उसने आती जाती हवाओं से अनकहे शब्द सुने जो पूरब से आए थे, शब्द थे, सच के, प्यार के, विश्वास के. उन शब्दों के साथ पुरसुकून चेहरा भी था ओस की तरह पावन और अम्बर की तरह कोमल जाने क्यों वो चेहरा बेहद अपना सा लगा. उस चेहरे ने कहा कच्ची  मिटटी  की खुशबू  के साथ रहा सकोगी? लड़की हौले से मुस्कुराई फिर उस लड़के ने  अपनी हथेली में बोलती आँखों वाली लड़की की रेखाये भी मिला ली और धान के खेत बहती नदी  को पार कर वो अपने घर ले गया जहाँ उस लड़की को स्नेह  की ऐसी पुलक मिली जो आज भी मन में समाई है.
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