किरण कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा न होकर उन तमाम व्यक्तियों के रोजमर्रा की जद्दोजहद का एक समुच्चय है जिनमे हर समय जीवन सरिता अपनी पूरी ताकत के साथ बहती है। किरण की दुनिया में उन सभी पहलुओं को समेट कर पाठको के समक्ष रखने का प्रयास किया गया है जिससे उनका रोज का सरोकार है। क्योंकि 'किरण' भी उनमे से एक है।
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बस खुदा के बाद माँ का दर्जा है, माँ तुझे सलाम .
ReplyDeleteअब कौन करेगा
ReplyDeleteमाँ तेरे जैसा प्यार
बहुत भावपूर्ण ...माँ का स्पर्श कहाँ भूल पाते हैं बच्चे जीवन भर
bahut sundar ...
ReplyDeleteमाँ की याद जीवन का अनमोल खजाना होता है . संजोये रखना .
ReplyDeleteडॉ किरण मिश्रा जी आप के साथ साथ डॉ पवन मिश्र को भी आप को इस दुनिया में लाने के लिए बधाई व् आभार -आइये अपना योगदान इसी तरह देती रहें
ReplyDeleteआज नहीं तू
मेरे पास
पर सपनो में
आके बंधाती आस
माँ ऐसी ही होती है किरण जी जो भगवन सी हमेशा हम को समझती है रहे तो न रहे तो -बच्चे उसकी जान है - सुन्दर रचना आप की
बचपन में हम भी एक कान्वेंट स्कुल में वहाँ पढ़े आज आप के कारण यादें ताजा हो गयीं
कृपया लिखते रहिये
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
बहुत सुंदर
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
maan ka pyar bahut sunderta ke saath bayaan kiya hai.............
ReplyDeleteमाँ के प्यार से बढ़कर भला किसका प्यार हो सकता है.
ReplyDeleteमाँ का प्यार है
ReplyDeleteतो मानो
सब कुछ है ....
सुन्दर काव्य !!
किरन जी ,अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आ कर )
ReplyDeleteमाँ का प्यार और माँ ऐसी ही होती हैं ......
maa to maa hi hoti hai... bhaavpurn rachna...
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