जीवन क्या है ? एक बहुत पुराना प्रश्न है . जितना पुराना .जितना बड़ा .जितना गूढ़ प्रश्न उतने ही पुराने उतने ही गूढ़ जवाब. आखिर जिन्दगी का अस्तित्व क्या है ? इसका अर्थ क्या है ? कितने बार कितने तरह से जिन्दगी को ले कर प्रश्न पूछा गया है . लेकिन आज तक इसका पुख्ता जवाब नहीं मिला है . हम कंहा जान सके है कि जीवन का क्या अर्थ क्या है ? मेरे लिए तो जीवन विश्वास है, प्यार है, श्रद्धा है. एक वैज्ञानिक के लिए संसार कि उथल- पुथल के बाद की रचना ही जीवन है. लेकिन सवाल ये उठता है कि ये उथल- पुथल हुई तो किसने की उसके बाद जीवन शुरू कैसे हुआ. ईश्वर ने किया एक जवाब ये हो सकता है.अलग- अलग धर्म वाले इसे मानते भी है. या ईश्वर जैसी किसी शक्ति को. हम सब जन्म लेते है जीवन जीते है फिर मर जाते है कभी- कभी लगता है क्या इसके बीच में कही कुछ है. मेरा ये सवाल आप के भी मन में आता होगा. मुझे इन सबका जवाब शायद कुछ हद तक अध्यात्म में मिलता है असल में अध्यात्म मेरे लिए कोई धर्म या धार्मिक विचार नहीं है. अध्यात्म मेरे अन्दर विश्वास भरता है मुझे मानसिक मजबूती देता है. और शायद मुझे समझदार बनाता है मुझे अपने और लोगो को समझने की समझ देता है. प्यार करना सिखाता है निस्वार्थ भाव से . सच कहू तो में अघ्यात्म से जुड़ के ही जरूरतमंद लोगो की दिल की समझ सकने का प्रयास करती हूँ शायद. हो सकता है आप सब को मेरी बाते मूर्खतापूर्ण लगे या अप्रमाणिक लेकिन सच बताइए जब आप अपने सबसे मुशकिल समय में होते है तब आप को आध्यात्म ही संतुलित नहीं करता हमें अपनी तकलीफ को सहने की शक्ति इसी से मिलती है. मेरे गुरूजी से मै हमेशा पूछती थी कि हम सब इस संसार में क्यों आए है सिर्फ खाने कमाने तो उनका जवाब था हम दुनिया में इसलिए आए है कि ठीक से अपना काम करते हुए दुसरो की अधिक से अधिक मदद करे. शायद सत्य, इश्वर अध्यात्म या अच्छा वही है जो किसी को सुख पहुचाये में समझती हूँ यही शक्ति है यही भक्ति है यही जीवन है.मेरे लिए संसार ,अध्यात्म, भगवान का मतलब दुसरो के होठो को मुस्कान से भर देना है यही सुख है यही जीवन है इसके बिना जीवन, जीवन नहीं है.
किरण कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा न होकर उन तमाम व्यक्तियों के रोजमर्रा की जद्दोजहद का एक समुच्चय है जिनमे हर समय जीवन सरिता अपनी पूरी ताकत के साथ बहती है। किरण की दुनिया में उन सभी पहलुओं को समेट कर पाठको के समक्ष रखने का प्रयास किया गया है जिससे उनका रोज का सरोकार है। क्योंकि 'किरण' भी उनमे से एक है।
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अपने लिए जीये तो क्या जीये.... , वास्तव में यह जीवन अपने साथ साथ दूसरों के भी काम आना चाहिए सारगर्भित पोस्ट , बधाई
ReplyDeleteसंसार ,अध्यात्म, भगवान का मतलब दुसरो के होठो को मुस्कान से भर देना है यही सुख है यही जीवन है इसके बिना जीवन, जीवन नहीं है.
ReplyDeletejai baba banaras....
You have correctly defined LIFE.I too believe in what you feel in this regard.
ReplyDeleteसच -Spiritualism gives contentment!
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