Saturday, May 7, 2011

गर्मी की कड़ी धूप में पुरवाई सा माँ लगता था तेरा प्यार









गर्मी की कड़ी धूप  में
पुरवाई सा
माँ लगता था
तेरा प्यार
तेरी यादो से भरा
मेरा मन उल्लासित
होता बारम्बार
माँ ऐसा  था
तेरा प्यार
आज नहीं तू
मेरे पास
पर सपनो में
आके बंधाती आस
जब भी आँखे
मुंदती है
तस्वीर तेरी ही
दिखती है
अब कौन करेगा
माँ तेरे जैसा प्यार

11 comments:

  1. बस खुदा के बाद माँ का दर्जा है, माँ तुझे सलाम .

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  2. अब कौन करेगा
    माँ तेरे जैसा प्यार
    बहुत भावपूर्ण ...माँ का स्पर्श कहाँ भूल पाते हैं बच्चे जीवन भर

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  3. माँ की याद जीवन का अनमोल खजाना होता है . संजोये रखना .

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  4. डॉ किरण मिश्रा जी आप के साथ साथ डॉ पवन मिश्र को भी आप को इस दुनिया में लाने के लिए बधाई व् आभार -आइये अपना योगदान इसी तरह देती रहें
    आज नहीं तू
    मेरे पास
    पर सपनो में
    आके बंधाती आस
    माँ ऐसी ही होती है किरण जी जो भगवन सी हमेशा हम को समझती है रहे तो न रहे तो -बच्चे उसकी जान है - सुन्दर रचना आप की
    बचपन में हम भी एक कान्वेंट स्कुल में वहाँ पढ़े आज आप के कारण यादें ताजा हो गयीं
    कृपया लिखते रहिये
    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

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  5. maan ka pyar bahut sunderta ke saath bayaan kiya hai.............

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  6. माँ के प्यार से बढ़कर भला किसका प्यार हो सकता है.

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  7. माँ का प्यार है
    तो मानो
    सब कुछ है ....
    सुन्दर काव्य !!

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  8. किरन जी ,अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आ कर )
    माँ का प्यार और माँ ऐसी ही होती हैं ......

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  9. maa to maa hi hoti hai... bhaavpurn rachna...

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