श्रद्धा और विश्वास तुम पर
तुम्हारे गीत गाती हूँ
मन जब भी घबराता है
तुम्ही में डूब जाती हूँ
कोई चीज चुभे मुझे जब
ह्दय तुम्हे लगाती हूँ
जग की कृत्रिमता से ऊबकर
तुम्ही में डूब जाती हूँ
तुम्हारा नाम लेने पर
प्रिय मस्ती मुझ पर छाती है
पानी पर रश्मि जेसी
वो मस्ती मुझे नचाती है .
मै इठलाती जाती हूँ
हर बार प्रिय मै
तुम्ही में डूब जाती हूँ
रश्मि जेसी नाच नाच कर
ReplyDeleteमै इठलाती जाती हूँ
हर बार प्रिय मै
तुम्ही में डूब जाती हूँ
बेहतरीन और कविता और उसकी सबसे खास ये पंक्तियाँ.
सादर
bhut bhut khubsurat rachna...
ReplyDeletebeautyfull expressions ma'am...though you have written it specially for someone,yet a feeling emerges from within as if it is a prayer...sufi jaisa kuchh..
ReplyDeleteji haan priye ki masti mein hamein mat bhool jana.. bahut sunder kiran.
ReplyDeleteएक एक शब्द जैसे चाशनी में डुबोए हूँ ,प्रेम कविता को कैसे महान बनाता है वो साफ़ दिख रहा हैं |किरण के साथ साथ उनके पवन जी को शुभकामनायें
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