भोर के तारे से मैंने कहा
तेरी मेरी एक ही दशा
तू अकेला ही आता जाता
ये तो नहीं है कुछ अच्छा
हँसकर के बोला तारा
एक गाँधी एक ही ईशा
जिन्होन दुनिया को दी है दिशा
उनसे ही सजती है धरा
तेरी मेरी एक ही दशा
तू अकेला ही आता जाता
ये तो नहीं है कुछ अच्छा
हँसकर के बोला तारा
एक गाँधी एक ही ईशा
जिन्होन दुनिया
उनसे ही सजती है
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Bahut khoob ...
ReplyDeleteगुरुदेव टैगोर की एकला चलो रे का का ख्याल आया . भोर के तारे के बहाने गहन बात कह दी .
ReplyDeleteबेहतरीन..
ReplyDeleteरुई के फोहे से कविता
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