सुनो कृतिवासा
मैं तुम्हारी ही एक अंश
तुम मुझे जोड़-जोड़ कर
दे सकते हो जीवन,
या मुझे कण-कण में बिखेर कर
कर सकते हो विलुप्त ।
ओ शम्भू
तुम मुझे दे सकते हो उर्जा
भर सकते हो मेरे अन्दर प्रकाश
इतना की अंधकार में मैं
नक्षत्र की तरह चमकूँ,
अरे ओ स्मरहर
तुम मुझे फेक सकते हो
घनघोर अंधकार में
हमेशा के लिए खोने को
ओ मृत्युञ्जय
दिखा सकते हो रास्ता
बन के प्रकाश की किरण
ताकि में भेद सकूं
अन्धकार में भी लक्ष्य को ।
शंकर
जगा दो मेरी वो ऊर्जा
जो पढ़ी है मेरे ही अंतस में
ताकि उसे लेकर मैं
अपनी ही पद प्रदर्शक बन जाऊ।
सृष्टिहरता वृषध्वज
सहारा दो
ताकि लेकर शांति का ध्वज
सब से एक रूप हो जाऊ।
मैं तुम्हारी ही एक अंश
तुम मुझे जोड़-जोड़ कर
दे सकते हो जीवन,
या मुझे कण-कण में बिखेर कर
कर सकते हो विलुप्त ।
ओ शम्भू
तुम मुझे दे सकते हो उर्जा
भर सकते हो मेरे अन्दर प्रकाश
इतना की अंधकार में मैं
नक्षत्र की तरह चमकूँ,
अरे ओ स्मरहर
तुम मुझे फेक सकते हो
घनघोर अंधकार में
हमेशा के लिए खोने को
ओ मृत्युञ्जय
दिखा सकते हो रास्ता
बन के प्रकाश की किरण
ताकि में भेद सकूं
अन्धकार में भी लक्ष्य को ।
शंकर
जगा दो मेरी वो ऊर्जा
जो पढ़ी है मेरे ही अंतस में
ताकि उसे लेकर मैं
अपनी ही पद प्रदर्शक बन जाऊ।
सृष्टिहरता वृषध्वज
सहारा दो
ताकि लेकर शांति का ध्वज
सब से एक रूप हो जाऊ।
बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
अति सुंदर है अभिव्यक्ती आपकी
ReplyDeleteउतनी सुंन्दर छवि भी आपकी
अति सुंदर है अभिव्यक्ती आपकी
ReplyDeleteउतनी सुंन्दर छवि भी आपकी