हवायें बदली बदली हैं ये मौसम बहका बहका है
मैंने सिर्फ मुहब्बत की तो फिर ये जादू कैसा है।
मैंने सिर्फ मुहब्बत की तो फिर ये जादू कैसा है।
नज़्मों के बादल घिरे थे कुछ गज़लें भी बरसी थीं
मेरी कच्ची धरती से उठी भाप में चंदन महका है।
मेरी कच्ची धरती से उठी भाप में चंदन महका है।
उस रात चाँद से तुमने क्या कह दिया बता देना
आजकल मुझसे जानें क्यूँ वो उखड़ा उखड़ा रहता है
आजकल मुझसे जानें क्यूँ वो उखड़ा उखड़ा रहता है
ये मुहब्बत का ही जादू है ...
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