Saturday, April 16, 2011

मन पर छाई धूसर धूप सी














वृक्ष्र से विलग हुई पतियों का कोई अस्तित्व ही नहीं रहता लेकिन उस छन जब पत्तिया विलग होती है वृक्ष  का भी अस्तित्व न के बराबर होता है. ऐसा ही है हमारा मन जब  प्यार नहीं पता तब हम  दुःख के सतत प्रवाह में बहने लगते  है. धरती में बिखरी पतियों के उड़ने जैसे  हमारी जिन्दगी का भी कोई अस्तित्व नहीं होता.    




झरने लगा पत्ते जैसे  मन 
बढ़ने  लगी उदासी मन की 
उड़ने लगी चेहरे की रंगत 
बुझने लगी मन की रंगीनी 

मन पर छाई धूसर धूप सी 
मन की सुधियाँ  हुई अनबनी 
उन से बिछड़ के रुक गई
जैसे  प्रगती  जीवन की 

साँस रुकी हम खड़े है जैसे 
पतझड़ के बाद खड़े वृछ जैसे 
लुटी -लुटी सी प्रकति जैसे  
मन मेरा तरसा हो ऐसे  

चिल चिली धूप  में बिन पानी के 
साँस अटकती गौरैया  सी 
मन ऐसे  तरसा है जैसे  
ठहर  गई गरम दुपहरिया जैसे  

आग बरसती मन में ऐसे  
गरम लू चलती हो जैसे  
मन के इस वीराने में 
अब न हरियाली छाई 

छ गई यादो की  पतझड़ 
बीत गई रहनुमाई बसंत की      
          

9 comments:

  1. आग बरसती मन में ऐसे
    गरम लू चलती हो जैसे
    मन के इस वीराने में
    अब न हरियाली छाई

    छ गई यादो की पतझड़
    बीत गई रहनुमाई बसंत की अंतिम पंक्तियाँ बहुत अच्छी, सुन्दर रचना, बधाई ....

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  2. पेड़ में अगर पत्ते ना हो तो ना फूल आते है ना ही फल . पेड़ और पत्ते एक दुसरे के पूरक है . इन्सान के जीवन में पतझड़ और बसंत आते है जाते है . सुँदर काव्य रचना . थोडा था ध्यान दिया करिए वर्तनी की त्रुटियों पर .

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  3. आग बरसती मन में ऐसे
    गरम लू चलती हो जैसे
    मन के इस वीराने में
    अब न हरियाली छाई

    वाह किरण जी वाह.बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  4. आप मेरे ब्लॉग पे आये अच्छा लगा और आपके विचारो पड कर मन प्रसन हो गया बस आप से येही आशा है की अप्प असे ही मेरा उत्साह बढ़ाते रहेंगे और अपने कुछ गलतियों की बात की जो आगे से मैं जरुर धयान में रखुगा
    धन्यवाद्

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  5. दुःख भी पर्यावरणीय हो सकता है !अदभुत

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  6. चिल चिली धूप में बिन पानी के
    साँस अटकती गौरैया सी
    मन ऐसे तरसा है जैसे
    ठहर गई गरम दुपहरिया जैसे

    बेहतरीन.

    सादर

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  7. वाह किरण क्या बात है. यह अंदाज़ भी पसंद आया

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  8. छ गई यादो की पतझड़
    बीत गई रहनुमाई बसंत की.....bhut khubsurati se apne shabdo me bhaavo piroya haI... VERY NICE...

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