Thursday, March 11, 2021

शिवोऽहम् शिवोऽहम्

मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥🙏 शिव अनन्तता, अपरिमितता और सवोच्चता के परिचायक है । शिव शिवोहम् है - शुभ मंगलकारी । वो गृहस्थ है, गुरु है, आदियोगी है, आदिगुरु है, काल है तो कालतीत भी, वो परब्रह्म है, निराकार है। शिव कालभैरव है, किराट है तो वानर रूप में हनुमान भी। शिव विराट है, शिव पूर्ण है। वो समस्त गन से युक्त , समय काल, जीवन- मृत्यु, राग- द्वेष, पाप- पुण्य, सुख- दुख, बहुत- भविष्य, भौतिकता- लौकिकता से परे स्वयंभू है। वो शिव है वो शून्य है, शिव अंतरात्मा है, शिव ॐ है ,शिव ज्योति है। यत्प्रज्ञानमुत चेतो धृतिश्च यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु यस्मान्न ऋते किं चन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु ज्ञानमय, विज्ञानमय, धृतिशील प्राणियों में जो रहा करता सदा है ज्योति बनकर नहीं किंचित् कर्म होता बिना जिसके वही मेरा मन सदा शिव संकल्पकारी हो ।

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