मेरी प्रकृति और तुम्हारी प्रकृति से
हमारा सह - अस्तित्व बना है.
तुमने मेरे अन्दर प्रेम के बीज बोये है
और मैने प्रेम पूर्ण उत्पादन करा है
तुम्हे दी है प्रसन्नता की फसल
तुम्हारा प्रेम मेरी रचना मे हमेशा प्रवाहमान रहा है
कभी वृक्ष, वन, सागर,
कभी परबत, हवा, बादल मे
बस इतना करना
अपने अंतर्मन के सत्य से
मेरे मन को बाँध कर
मेरे भौतिक मन को
प्राकृतिक मन मे बदल देना
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