Monday, October 5, 2015

सरहद


ओ प्यार मेरे
तुम जुदा हो मुझ से अर्थ से क्यों जा मिले
प्यार तुम्हारे लिए शायद
ये होगा बहुत आसान
ये बिल्कुल ऐसा ही था 
जैसे बेवक्त किसी को सोते से जगाना
या छुड़ा लेना किसी बच्चे से उसका कोई खिलौना
किसी वृद्ध से छीन लेना उसका जवान बेटा
तुम्हारे लिए
अर्थ के आधार पर प्यार को बाटना
जैसे बाट देना धरती को सरहदों में
और छोड़ कर चले आना
पार सरहदों के
अपनी आशा उमंग
सावन के गीत
या प्यारा मीत
ओ अर्थ के लिए
छोड़ने वाले
प्रथम मिलन के गवाह
उस मंदिर के पीछे
दफना देना मिलन के एहसास को
जब तुमने हौले से अपनी रख दी थी
गर्म हथेली मेरे हाथ पर
और एक हो गए थे दो एहसास
ओ मेरे अर्थ के साथी बने प्रेम
जो तुमने सरहद बंधी है
उसके इस पार
कैसे जीयेगा प्रेम
बिना रूह के

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