आज मैंने यादों की पिटारी खोली है आप भी मेरे साथ यादों की पिटारी खोलिए देखिये तो सही उसमे कुछ अच्छी यादें होगी कुछ बुरी। बुरी यादों से सबक लेकर उसे मन से प्रवाहित कर देना है अच्छी यादों को झाड़ पोछ कर फिर से उसी पिटारी में रखना है आप कहेंगे क्यों?..... क्योंकि उन छोटी छोटी यादों से मिलेंगी इतनी खुशियाँ जो आप का दामन भर देंगी दामन से खुशियाँ चुनने आप हमें भी बुलाएंगे ना …।
मैंने तो यादों की पिटारी से कुछ टाइटल उठाये है वही जो हमें स्कूल कॉलेज में हमारे जूनियर दिया करते थे। पर मै इसे आप से शेयर क्यों करू आप भी तो अपनी यादों की पिटारी से कुछ निकाले मुस्कराएँ । वही जब आप उनसे पहली बार मिले थे और जो पहला खत लिखा उस लम्हे को क्यों छिपाते है जनाब रहने दीजिये हम तो आप के मुँह से सुनना है वो रात जो आप ने दोस्तों के साथ घूमते हुये बिताई अरे बड़े भैया से तमाम मिन्नतों से मिली मोटर साइकिल लेकर भागना और गली कूचों में पुलिस से बचते बचाते एक ख़ास गली में पहुँच जाना और बालकनी में किसी का आना। … सब कुछ याद आएगा।
अच्छा थोड़ा और पीछे चलते हैं बचपन में जब तेजी के साथ टायर पर डंडी मारते रेस किया करते थे और बताऊँ भैंस की पीठ पर बैठकर खुद को राणाप्रताप समझना आप हंस रहे रोज मशक्कत हंसी छीन ली है न? यादें उसे लौटा रही। । याद है दीदी से लड़ाई और और उसकी विदा पर छिप कर उसकी गुड़िया के साथ बहुत रोये थे। यादों ने सब देखा था और जब रक्षाबंधन पर वो ससुराल से नहीं आ पाई तो दोस्त की कलाई पर राखी देखकर कैसी टीस हुयी थी।
बार बार इंटरव्यू देकर नौकरी नही लगी तो आपने दोस्तों से मिलना बंद कर दिया था और उस दिन जब आप अकेले और उदास बैठे थे अचानक पापा ने कंधे पर हाथ रखा उस स्पर्शका कोई मोल है? लीजिये चुप हो गये। पर वो पहली ज्वाइनिंग याद है माँ की आखे.……।
मैंने तो यादों की पिटारी से कुछ टाइटल उठाये है वही जो हमें स्कूल कॉलेज में हमारे जूनियर दिया करते थे। पर मै इसे आप से शेयर क्यों करू आप भी तो अपनी यादों की पिटारी से कुछ निकाले मुस्कराएँ । वही जब आप उनसे पहली बार मिले थे और जो पहला खत लिखा उस लम्हे को क्यों छिपाते है जनाब रहने दीजिये हम तो आप के मुँह से सुनना है वो रात जो आप ने दोस्तों के साथ घूमते हुये बिताई अरे बड़े भैया से तमाम मिन्नतों से मिली मोटर साइकिल लेकर भागना और गली कूचों में पुलिस से बचते बचाते एक ख़ास गली में पहुँच जाना और बालकनी में किसी का आना। … सब कुछ याद आएगा।
अच्छा थोड़ा और पीछे चलते हैं बचपन में जब तेजी के साथ टायर पर डंडी मारते रेस किया करते थे और बताऊँ भैंस की पीठ पर बैठकर खुद को राणाप्रताप समझना आप हंस रहे रोज मशक्कत हंसी छीन ली है न? यादें उसे लौटा रही। । याद है दीदी से लड़ाई और और उसकी विदा पर छिप कर उसकी गुड़िया के साथ बहुत रोये थे। यादों ने सब देखा था और जब रक्षाबंधन पर वो ससुराल से नहीं आ पाई तो दोस्त की कलाई पर राखी देखकर कैसी टीस हुयी थी।
बार बार इंटरव्यू देकर नौकरी नही लगी तो आपने दोस्तों से मिलना बंद कर दिया था और उस दिन जब आप अकेले और उदास बैठे थे अचानक पापा ने कंधे पर हाथ रखा उस स्पर्शका कोई मोल है? लीजिये चुप हो गये। पर वो पहली ज्वाइनिंग याद है माँ की आखे.……।
आँखे पोछिए आप ने तो मेरी भी आँखे भिगों दी तो बाँटिये ना मेरे साथ अपनी यादें आप खुद में बदलाव महसूस करेंगे इस भागती दौड़ती जिंदगी में कुछ ख़ुशी के लम्हे मिलेंगे। मेरे पास भी ऐसी अनमोल यादें है जिन्होंने मेरा आज का दिन खूबसूरत बना दिया है और मैं पहुंच रही हूँ अपनी यादों में आप भी निकल पढ़िये अपनी सुनहरी यादों के सफर और शेयर करना मत भूलियेगा।
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