और एक दिन जब
मनुष्य ने ईश्वर को फड़
पर बैठने को कहा
ईश्वर ठिठका
मनुष्य की बिछाई बिसात देख,
पहली चाल मनुष्य ने चली
विकास
सारे अर्थहीन, खतरनाक मुद्दे
उठ खड़े हुए
दूसरी चाल
विज्ञान
ह्रदय हीन हुए मनुष्य
ईश्वर हँसा
अब आखिरी चाल उसकी थी
उसने पासे फेंके
दौड़ते मनुष्यों के पैरों में उसके पासे थे
अब ईश्वर के सामने मनुष्य था
और मनुष्य के सामने उसकी छाया
यह देख
पृथ्वी फिर से उठ खड़ी हुई।
मनुष्य ने ईश्वर को फड़
पर बैठने को कहा
ईश्वर ठिठका
मनुष्य की बिछाई बिसात देख,
पहली चाल मनुष्य ने चली
विकास
सारे अर्थहीन, खतरनाक मुद्दे
उठ खड़े हुए
दूसरी चाल
विज्ञान
ह्रदय हीन हुए मनुष्य
ईश्वर हँसा
अब आखिरी चाल उसकी थी
उसने पासे फेंके
दौड़ते मनुष्यों के पैरों में उसके पासे थे
अब ईश्वर के सामने मनुष्य था
और मनुष्य के सामने उसकी छाया
यह देख
पृथ्वी फिर से उठ खड़ी हुई।