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रांझा रांझा कर दीनी मैं आपे रांझा होई 🌻
रूह को एहसास नहीं हुआ ,जिस्म समझ नहीं पाया, आँखे देख न सकी
बस उसका होना हमारे होने से टकराया और हमारा होना न होना होकर रहा गया I
मानो रूह ने साथ छोड़ा हो जिस्म का I
ऐसा ही होता है प्रेम
किसी अनजाने से गाँव की पगडंडी से चलता हुआ एक उदास घर में एक उदासी से मिलता है , फिर आदान प्रदान होता है ' शेखर एक जीवनी" या 'गुनाहों का देवता' का ।
रात भर बारिश होती है कहानी भींगती है
ठिठुरी हुई लम्बी रातों में दो तारे बारी - बारी से जागते हैंI
कही दूर किसी सिसकी का जवाब होता है तेरे नाम और तेरे ध्यान की कश्ती से मैं दरिया पार कर लूँगा।
ऐसा ही होता है प्यार चाहे तीन रोज का हो या तीन सौ पैसठ दिन का ।
किसी ने आवाज दी
जिन्दगी मुस्काई
कली ने पखुडियाँ खोली
और उदासी ढल गई
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3-प्रेम 💙
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आप की आहट......🍁
कुछ आहटें ऐसी होती हैं, जो सुन्दरतम क्षण से हमें जोड़ती हैं | उन आहटों के कुछ लम्हें हम जी पाये | कितना मधुर था वह क्षण! ... और जो अनसुना रह गया था , वह शायद और मधुर अपूर्ण था| लगता है, मानो हम उन्हीं मोहक लम्हों के क़रीब हैं |
जीवन की इस आपाधापी में धड़कती साँसें बन्द हो, गुमनाम हो जातीं और हम उन्हीं साँसों की मादकता का एहसास तक नहीं कर पाते | हाँ, आज एहसास हो रहा है--- एक क़िस्म की अपूर्णता भी ज़रूरी है, ज़िन्दगी के लिए .......|
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4-प्रेम 💚
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इश्क़ पर आमाल की बुनियाद रख......🌼
जब अमृता की कहानी को जीने लगो, कुछ गीली कुछ सीली सी हवाओं को सुनने लगो। शब्द-शब्द एहसास हो। लफ्जों की इबारतें दश्ते सहरा में सूफी कलाम लगे। दुनियावी शोर सुनाई देना बंद हो जाये। जब सारी मुस्कानें सारे आंसू सारी शरारतें सिर्फ और सिर्फ किसी एक के लिए हो, तब अपने होश के हुनर से पूछ लेना कही मन का रूपांतरण तो नहीं हुआ है।
साज और साजिंदे एक तो नहीं हो गए है ?
लेकिन इसे तुम तभी सुन सकते हो जब भीड़ की दोहरावपूर्ण आदतों की व्यर्थताओं को पहचान कर अपना गीत अपनी अनुभूति से रचने की कला तुम्हें आती हो।
प्रेम ऐसा ही होता है दोस्त
ये मौला के दर से दर्दमंदो के दिल तक यूं ही नहीं बहता ।
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5-प्रेम 💛
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सुर आत्मा को ढालता है और ज़ज्बात का सोना पिघलाता है...🌹
घाटियों दर्रों पहाड़ों और रेगिस्थान में कुछ प्रेमी मरे आयते हो गए
कुछ और मरे चौपाई हो गए
फिर कुछ और मरे वर्स हो गए
अंत में जो मरे वो गुरुवाणी हो गए
पर जो जिन्दा थे उन्होंने न आयते पढ़ी न चौपाई न ही वर्स
और न ही सुनी गुरुवाणी
क्योंकि वो प्रेमी नहीं थे
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6-प्रेम 💜
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निढाल है हम इस इश्क़ के सफ़र में 🌻
प्रेम की निर्जनता में उदासी हमेशा स्लेटी रंग की क्यों होती है?
यही पूछा था न मैं ने
और तुमने हस कर कहा था
बिना संकट के कुछ भी सार्थक की प्रति संभव कहां,
संभव तभी है
जब मन के पथ में दूसरे की गंध भरी हो
शारदीय धूप का केसरिया रंग किन्हीं अक्षांशो पर खिलाना ही होता है मयूख....
सच कहा था तुमने
प्रेम की परिणति तो पहुँच जाने में ही होती है
चाहे इतिहास बने या वर्त्तमान
बस इतना रहे की
मन की निर्जनता में भाद्रपद के चाँद सा झलकता रहे।
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7-प्रेम 💗
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नैना ही अंतर परा, प्रान तुमहारे पास.....
टहलती आती है आवाज़ें अजनबियत की गलियों से
जैसे निभाती हो रस्में उनके लिए जो अपने थे
दौरे इश्क है गुज़र जाएगा
आप ज़र्रा है आफ़ताब बने तो सही
रूहनी खुशबू है अहसास कर के देखिए
नहीं तो सिर्फ गुबार है ये धूल के
नूरी मछुआरिन सरहद के इस पार हो
या कि उस पार
हर बार दीद रहा जाती है इस पार
इश्क के दरिया में बेख़ौफ़ तैरते है
हम वो है जो इसकी आग में भी हहरते है
टंगा जड़ पर तरकस, स्यालों में बांट दिये आप ने तीर
मिर्जा जिन्दा है बस जरा इश्क की तलवार धंसी है
खामोश है, उदास है ,पर बंजर नहीं जमीन
पहले बोसे की बूँदे हरा रखती है
कि स्मृतियों का लोबान बुझ- बुझ के जलता है
अधूरा एहसास है रातों को महकता है
लबालब दिल है बेलौस भी है ये
यादों से रूबरू हो थोड़ा मगरूर भी है ये
शब्द थके, टूटे, गीत बेघर है मेरे
सपने नींद की तलाश करते है
यक़ीनन सफ़र मुश्किल है इश्क का
मुकम्मल यहां कुछ भी नहीं
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शानदार प्रस्तुति
ReplyDeleteThanks
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