सकरे से रास्तो के बीच
ना कोई आता जाता जंहा
चलो दोनों चले वहां
जहा दर्रो से निकले धवल पानी
जहा सन्नाटे की ही हो वाणी
चलो चले वह
ना कोई आता जाता जहा
जहा पैरो के नीचे पत्ते करे चरर मरर
जहा हवा की हो सनन-मनन
ना कोई आता जाता
चलो दोनों चले वहा
सुन्दर -सुन्दर परिंदों का हो जहा आवास
जंहा धरती के साथ -साथ हो आकाश
वही करे निवास
न कोई आता जाता जहा
चलो चले वहा
अब ना रुके यहा
चलो चले वहा