वो गूंजते दिन बचपन के
झूमते आंवले के पेड़
बचपन तोड़ता तेदू फल
और खंडहर हुये
किले में
छुपती किलकारी
सर्पीली सडको से दौड़
पहाड़ो पर चड़ना
जालपा मैया के
घंटे के लिए
घंटो मशक्कत करना
आज भी
भीड़ के सूनेपन में
मंदिर के घंटे
याद दिल ही देते है
बीते बचपन की।
झूमते आंवले के पेड़
बचपन तोड़ता तेदू फल
और खंडहर हुये
किले में
छुपती किलकारी
सर्पीली सडको से दौड़
पहाड़ो पर चड़ना
जालपा मैया के
घंटे के लिए
घंटो मशक्कत करना
आज भी
भीड़ के सूनेपन में
मंदिर के घंटे
याद दिल ही देते है
बीते बचपन की।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "सबसे तेज क्या? “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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