Friday, April 29, 2016

ऊसर में प्रेम

अचानक में दूर तक फैले हुए
ऊसर में खडी हूं
शायद आस-पास कुछ खेत भी है
दो चार पेड़ और एक समाधी भी
मैं समाधी पर बैठी प्रेम खा रही हूं
रस में डूबा प्रेम महुआ जैसा
दूर तक फैले ऊसर के ऊपर
सूरज चमक रहा है
वो पेड़ के नीचे
अपने बाल बिखेरे हंस रहा है
हंसी चल पड़ी है
और मैं उस से चिपट कर
गर्म-गर्म ऊसर के रास्तो को पार कर रही हूं
फरवरी समाप्त होने को है
आसमान साफ और तेज है
ऊसर में ऊगे कुछ जंगली फूल
हमारे रास्तों को आसान बना रहे है
वो फूल तोड़-तोड़ कर
मेरे ऊपर फेक रहा है
हवा तेज और तेज हो गई है
हम उड़ रहे है
प्रेम उड़ रहा है
मैं अचानक नीचे गिरती हूं
ऊसर में फूल ?
ऊसर है तो फूल कहां?

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