चाँद पर लिखने वालो
क्या उसका दर्द समझते हो
उससे बात हमेशा तुम अपनी ही तो करते हो
कभी कुफ्र की बाते करते
कभी इश्क के चर्चे
कितनी -कितनी बार सुनाते तुम कितने ही किस्से
इशक का मारा कोई फिरता चाँद का साथ लिए
भूखे पेट चाँद से कोई रोये हुलस-हुलस के रात ढले
मन की बातें उससे करके कितनी रातें बीती
पर चंदा की तो हर रतिया ही हैं रीति
चंदा मेरे मन की सुन ले एक प्रश्न बताना तुम
तेरे मन के प्रश्नों को भी आज मुझे समझना तुम
सुन कर चंदा बोला जिसमे राज है बहुत गहरा
मेरे अंतस में दुःख का है बहुत बड़ा है डेरा
गाँधी की बात बताऊ या ईसा की बताऊ बात
जिस दिन भगत सिंह को फासी दी मैं रोया सारी रात
चौसा के युद्ध से घायल राजा ममता के घर आया
मूक गवाह उसके उस पल का में था उसका हमसाया
आश्रय दे दुश्मन को उसने मेरा मान बढाया
मैंने गर्व से भर कर उसके चरणों में शीश झुकाया
अरे नादानों तुम्हें बताऊ बाते बलिदानों की
तुम प्यार में बलिदान होगे बाते करते नादानी की
चन्दन नहीं चंदा कहती मेरा नाम बुलाती
अपने बेटे को मुझे दिखा वो तो थी कितनी हर्षाती
पर एक दिन फर्ज हुआ माँ की ममता पर भारी
उसी दिन चितोड़ में लिखि एक नई कहानी
उदय सूर्य का करके पन्ना ने कर दिया पुत्र बलिदान
मेरे साथ याद करता उसे सारा हिन्दुस्तान
खंडित और क्षत विक्षत हो रही थी जब भारत माता
लक्ष्मी सी देवी उसने संहार दुश्मनों का कर डाला
उस पवन समाधी पर में आधी रात जाता हूँ
झूम-झूम कर देशभक्ति के वहां गीत गाता हूँ
प्यार की बाते तुम करते प्यार तुम्हारा कच्चा है
जहाँ मटकी डूबी थी प्यार वही सच्चा था
मुझे अब नहीं रहना ये गिद्दो की बस्ती है
मानवता यहा चंद रुपयों में बिकती है
नदियों के सँवलायी जल मे मैं भी काला दीखता हूँ
प्रथ्वी माँ मैं तुमसे क्षमा याचना करता हूँ
अगर चाहो में तुममे एक रूप हो जाऊ
तो झुल्फे सावन आँचल छोडो नया नजरिया लाओ
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अमर शहीद कर्नल संतोष को हार्दिक श्रद्धांजलि , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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