प्रत्यक्ष अस्तित्व की आंतरिक गतिविधियों को समझने के प्रयास में अंतकरण में अनेक अनुभव आते हैं । समझने के प्रयास में अनेक कविताएं स्वतः स्फूर्त प्रकट हो जाती हैं । ऐसी कविताएं हमारे प्रयास का परिणाम नहीं होती है। बल्कि वह भीतर ही भीतर स्वयं रचती हैं । रचनाकार उन्हें सिर्फ अपनी ओर से संवारने के क्रम में कुछ शब्द देता है। शब्दों का आत्मिक संयोजन 'ब्रह्मांड का घोषणा-पत्र एवं अन्य कविताएँ' है।
किरण कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा न होकर उन तमाम व्यक्तियों के रोजमर्रा की जद्दोजहद का एक समुच्चय है जिनमे हर समय जीवन सरिता अपनी पूरी ताकत के साथ बहती है। किरण की दुनिया में उन सभी पहलुओं को समेट कर पाठको के समक्ष रखने का प्रयास किया गया है जिससे उनका रोज का सरोकार है। क्योंकि 'किरण' भी उनमे से एक है।
Sunday, December 31, 2023
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प्रत्यक्ष अस्तित्व की आंतरिक गतिविधियों का परिणाम यह मेरा पहला काव्य- संग्रह है। ब्रह्मांड का घोषणा- पत्र एक संकेत है ऋत को जानने का जिसके ...
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ज़िन्दगी एक सोपान और कुछ नियति सी, कुछ अनसुलझे प्रशन सी कुछ उलझे से उत्तर सी. ज़िंदगी एक गहरी उदासी सी, और निरूद्देश जीवन ...
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मैंने अलसाई सी आंखे खोली है.लेटे-लेटे खिड़की से दूर पहाड़ो को देखा पेड़ो और पहाडियों की श्रंखलाओ के पीछे सूर्य निकलने लगा है, हलकी - हलकी...
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हवा में ठंडक है शायद गांव में कांस फूला है आज धूप का मिजाज़ किसी प्रेमिका सा है जो बार-बार छत पर आती जाती है इंतजारे इश्क में । बाहर हल्का...
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मुझे भी साधना के पथ पर चलना सिखा दो तुम , मेरे " मैं " को मेरे मन से हटा दो तुम मैं अब इस संसार में रुकना नहीं चाह रही हूँ , ...