Monday, July 14, 2014

प्रेम, न आदि न अंत

ढेर सारे खिलते हुए मोगरो के बीच आप के मन को महकाने वाला प्रेम, जिंदगी भर साथ चलने वाला प्रेम, बिना कुछ कहे सब कुछ कहा जाने वाला प्रेम, बचपन वाला प्रेम, कॉलेज वाला प्रेम, ख्वाब वाला प्रेम , कितने नाम कितने रूपों में प्रेम हमारे पास आया है।
 लेकिन आज आप का परिचय उस प्रेम से कराऊगी जिसे हम समझ के भी नहीं समझना चाहते। वो है डांट वाला प्रेम, चिंता वाला प्रेम ,और मूक प्रेम आप कहेंगे अरे ये प्रेम की कौन सी परिभाषा है में कहूँगी ये भारतीय प्रेम है उस प्रेम से अलग जिसमे बात -बात में आई लव यू कहा जाता है ……अरे वो प्रेम ही क्या जिसे जुबान से कहा जाए.……।

कार्ड, गिफ्ट , मल्टीप्लेक्स में पिक्चर, रेस्टोरेंट में खाना ये प्रेम का एक रूप हो सकता है पर अपने हाथ से कहना बना कर खिलाना या आप के लिए लड्डू बना कर टिफिन में लाना भी प्यार है। दोस्तों प्यार में तो एक मुस्कान भी काफी है। कुछ ना बोल कर पलकें झुकना भी है या उनका धीरे से ये कहना अपना ध्यान रखना ये क्या है। तेज गाड़ी चलाने पर टोकना , देर से घर आने पर चिंता करना आप की गन्दी खानपान की आदतों पर लड़ना ये सब भी प्यार ही है पर शायद हम उसके पीछे छिपे भाव को नहीं समझ पाते या समझना नहीं चाहते ये भाव तो यही कहना चाहते है की आप हमारे लिए सब कुछ हो हमें आपकी चिंता है हम आप से प्यार करते है तो अबकी बार उस चिंता में उस गुस्से में प्यार को सुनने की कोशिश कीजिये। ये भारतीय प्रेम है जनाब इसमे सर्वस्य उड़ेल देने की चाहत होती है तभी तो आप के बार- बार मना करने पर भी आप को थोड़ा और खाने की गुजारिश की जाती है..
कुछ प्यार सन्नाटे वाले होते है जिसमे कुछ पता ही नहीं चलता सन्नाटे के पीछे जो आवाज होती है हवा की झींगुर की वैसा ही कुछ-कुछ एहसास होता है पर कुछ स्पष्ट समझ नहीं आता अरे तो समझने की कोशिश कीजिये वो आप से प्यार भरी दो बाते कहना चाहता है बस हिम्मत ही नहीं होती है……… शब्दों के पार भी प्यार है । 

पसीने से सराबोर 
मेरे माथे को पोछ्ते तुम

देर से घर आने पर मेरी व्याकुलता 

अपनी उदासियों में तलाशती 
तुम्हारा कंधा 

या बिना कहे तुम्हारी
सारी समस्या समझती मै

प्यार यही है बस यही

7 comments:

  1. बिल्कुल यही प्यार है इस पर मैने भी कुछ लिख रखा है काफ़ी वक्त हो गया :)

    ReplyDelete
  2. प्‍यार यही है बस यही
    ........ जो हर पल साथ रहे दूर रहकर भी

    ReplyDelete
  3. सच लिखा है ... प्रेम किस किस बात में है इसको समझने के लिए उम्र भी कम होती है ...
    गहरा एहसास लिए ...

    ReplyDelete
  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, निश्चय कर अपनी जीत करूँ - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  5. सच कहा , शायद पीढ़ियाँ लग जाएँ इस प्यार को समझने मे और जब समझ मे आए तो देर हो चुकी हो .

    ReplyDelete
  6. Prem ka sunder prastutikaran.....

    ReplyDelete