Wednesday, June 1, 2016

स्वर्ण भस्म और जिन्दगी

प्रसिद्ध कहानी के गड़रिए युवक की तरह छुपे खजाने को दुनिया में खोजते हम या काल्पनिक रासायनिक क्रियाओं के द्वारा जिन्दगी को स्वर्ण बनाने की कला का सपना देखते समूची जिन्दगी  संयोगों, चमत्कारों की आशा में काट देते है ।
हर बार हमारी आशा का सूरज घबराकर अंधेरो की सीढियां खोजते हुए भरमाया सा एक कोने में बैठ जाता है और हम गीली लकड़ी से सुलगते सारी जिन्दगी बिता देते है।
तो फिर इसका हल क्या है ? वर्तमान में जीये और खूब जीये किसी चीज को पाने के लिए  कोशिश करे लेकिन इस हद तक जिसमे आप का स्वस्थ आप के रिश्ते और आप की जिन्दगी प्रभावित न हो।
हर व्यक्ति का अपना स्टेट्स होता है उसी से वो थोडा आगे पीछे जीता है उसे बना कर रखने की कोशिश अच्छी है पर यूं प्यारे से लम्हों की कीमत पर प्रसिद्धि का सपना या धनवान बनने का सपनों के पीछे भागना अंधी सुरंग में जीवन भर की भटकन है। जो है उस में खुश रहते हुये खुशनुमा आगे बढ़ने की कोशिश अच्छी है लेकिन किसी भी कीमत पर आगे बढ़ने की कोशिश  जिन्दगी के अंत में आप को काश शब्द के साथ   बिताने को मजबूर कर देती है सो चले दौड़े नहीं वैसे भी तेज चलना स्वस्थ के लिए अच्छा होता है और जिन्दगी के लिए भी दौड़ भी ठीक है पर उसके बाद चलना भी मुश्किल हो जाता है यकीन मानिए जिन्दगी बहुत खूबसूरत है और उसे आप की जरुरत है।

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