Wednesday, October 7, 2015

जनता का तंत्र है क्या .....


लोकतंत्र में व्यवस्थापिका को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है इस रूप में इसका उत्तरदायित्त्व भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण  है . भारत में व्यवस्थापिका अपने वास्तविक उतरदायित्व की कोई छाप नही छोड़ पाया. व्यवस्थापिका की सर्वोच्च शक्ति के सन्दर्भ में उसके कर्तव्यों का आभाव है. यह अपनी गरिमा के अनुरूप भारतीय समाज में मूल्य एवं आदर्श स्थापित नहीं कर सका है .यह राजनीति , सत्ता,अधिकार एवं व्यक्तिगत सुख -समृद्धि के इर्द -गिर्द सिमट कर रहा गया है.परिणामस्वरूप भारतीय समाज में असंतोष,अराजकता, भ्रष्टाचार जैसी नकारात्मक प्रवृतिया आम हो चली है. आवश्यकता इस बात कि है कि विभिन्न उपायों एवं सुधारों के द्वारा व्यवस्थापिका के व्यापक एवं प्रभावी उत्तरदायित्व को सुनिश्चित किया जाये.वस्तुत: यहा वास्तविक लोकतंत्र को स्थापित कर सकता है .

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