Sunday, August 26, 2012

जिन्दगी अनसुलझे प्रश्न सी उलझे से उत्तर सी













ज़िन्दगी एक सोपान और कुछ नियति सी,
कुछ अनसुलझे प्रशन सी
कुछ उलझे से उत्तर सी.
ज़िंदगी एक गहरी उदासी सी,
और निरूद्देश जीवन भी
कभी सागर सी
कभी छोटे झरने सी.
जिन्दगी कभी माँ की ममता सी
कभी दुश्मन की नफरत सी,
कुछ गहरी शांति सी
कुछ प्रेम की पुण्यता सी.
कुछ यादो की गठरिया सी
कुछ वादों की पोटली सी,
कुछ स्नेह की सैगातो सी
कुछ परम्परागत संस्कारो सी.
जिन्दगी कुछ दादी के किस्सों सी,
कुछ माँ की लोरी सी,
कुछ पापा की डाट सी
कुछ दादा के प्यार सी .
कुछ रुकती सांसो सी,
कुछ सांसो की सरगम सी.
जिन्दगी कुछ रंगहीन पतझड़ सी 
कुछ रंगीन बसंत सी, 
कुछ ठंडी बर्फ सी 
कुछ गर्म होती जेठ सी.
जिन्दगी कभी सच्चे सपनो सी,
कभी टूटते सपनो सी,
कुछ गहरी संतुष्टि सी 
कुछ गहरी असंतुष्टि सी. 
जिन्दगी को हमने  देखा 
कितने ही रंगो में कितने ही रूपो में , 
फिर भी ना समझे फिर भी ना जाने क्यों ............
क्योकि जिन्दगी अनसुलझे प्रश्न सी उलझे से उत्तर सी